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Tuesday 23 August 2011

जिथे धर्म आहे तिथे जय आहे,हेच वेद सांगतात.....


     आज काल संभाजी ब्रिगेड, जिजाऊ ब्रिगेड सारख्या संघटना आज काल लोकांमध्ये असा प्रचार करतात कि शिवाजी महाराज हे हिंदू नवते.ते ब्राह्मण तसेच वेद,ज्योतिष याचे विरोधी होते.आणि त्याला अनुसरून हे लोक धर्म ग्रंथ जाळायाच्या गोष्टी करतात,ब्राह्मणांना घरात घुसून मारण्या पर्यंत यांची मजल जाते आहे.

     आता जर शिवाजी महाराज हिंदू द्वेषी,ब्राह्मण द्वेषी होते तर मग त्यांचेच वंशज असलेल्या कोल्हापूरकर छत्रपती नि तसे वागलेले दिवसत नाही.
     ज्या शाहू महाराजांचा नाव केवळ स्वतःच्या स्वार्थासाठी हे ब्रिगेड आणि त्यांचे छुपे समर्थक आणि पाठराखे राष्ट्रवादी कॉंग्रेस चे नेते करत असतात.
             
         त्याच शाहू महाराजांनी कोल्हापुरात वेद मंत्र शिकवायला पाठशाला काढली होती 
    
    हे तर आपण सर्वस ठाऊकच असेल.शाहू महाराजांनी तसे वारंवार बोलून देखील दाखवले आहे कि
          "मी वेद,पुराणे यांचा कट्टर समर्थक आहे".
  याच वेद पाठ शाळे तर्फे शाही महाराजांच्या प्रोत्साहनाने पंचांग काढले जात होते जे आज तागायत चालू आहे.त्याचे हे मुख पृष्ट आहे.हिंदवी स्वराज्याच्या शिलेदारानो आणि ब्रिगेड समर्थकांनो जरा नीट पहा हा फोटो आणि वाचा.बिग्रेडींनो तुमच्या कडून संस्कृत वाचण्याची अपेक्षा नाहीच...तरीपण त्या खेडेकरला किंवा कोकात्याला विचारा येत का ते.आणि यातील श्लोकाचा अर्थ माहिती करून घ्या.

   छत्रपतींचे वंशज जर हिंदू धर्म आणि त्याचे विचार यांचा प्रचार करत असतील तर तुम्ही कोण आहात छत्रपतींच्या नावाने नवीन दिंडोरा वाजवणारे?उगीच नको तो अपप्रचार करू नका...हिंदू धर्माला नाव ठेऊ नका.

            अरे आज वर शेकडो आले आणि गेले हिंदू आहे तिथेच आहेत.तुम्ही नष्ट व्हाल एक दिवस.

1 comment:

  1. बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर केविचार :-
    1. तुम्हीं भारत के मूलनिवासी और सहोदर भाई हो |
    2. तुम्हीं को इससे पहले अनार्य, असुर, राक्षस, शुद्र, अचुत और अब दलित या हरिजन कहा जाता है |
    3. आर्यों और अनार्यों के युद्ध मैं तुमारी हार का परिणाम तुमारी गुलामी है |
    4. समस्त भारत भूमि तुम्हारे पूर्वजों की धरोहर है |
    5. तुम्ही इसके सच्चे और सही उतराधिकारी हो |
    6. तुम्हें गुलाम बनाया गया है |
    7. तुम्हारे धन और धरती पर कब्ज़ा किया गया है |
    8. तुम्हारी सभ्यता, संस्कृति, साहित्य, इतिहास, और धर्म नष्ट कर दिया गया है|
    9. तुम्हें धर्म का भी गुलाम बना लिया गया है ।
    10. तुम हिन्दू कभी नहीं थे, तुम आज भी हिन्दू नहीं हो ।
    11. तुम हिन्दू धर्म के गुलाम हो ।
    12. हिन्दू धर्म छोडना धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि गुलामी की जंजीरे तोडना है |
    13. इसे वीर ही कर सकते है, तुम्हारे पूर्वज वीर थे ।
    14. तुहारी रगों मैं उनका खून है इसे पहचानो ।
    15. शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो विजय तुमारी है ।
    16. जाती के अधर पर किसी को ऊँचा मानना पाप है और नीचा मन्ना महापाप ।
    17. हिन्दू धर्म की आत्मा वर्ण जाती और ब्रह्मण हितेषी कर्मकांडो मैं है |
    18. वर्ण और जाती के बिना हिन्दू धर्म की कल्पना ही नहीं की जा सकती |
    19. हिन्दू धर्म मैं कर्म नहीं जाती प्रधान है |
    20. जब तक तुम हिन्दू धर्म के गुलाम रहोगे तुम्हारा स्थान सबसेनीचा रहेगा।
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    तुम हिन्दु क्यों नहीं हो ?
    1. हिन्दु धर्म वर्णों का है तुम किसी भी वर्ण मैं नहीं आते हो, जबरदस्ती सबसे नीचे वर्ण मैं रखा है |
    2. हिन्दु धर्म के कर्मकांडों को तुम्हे नहीं करने दिया गया और तुमनहीं कर सकते हो |
    3. हिन्दु धर्म के भगवन उनके अवतार और उनके देवी देवता न तो तुम्हारे है और न तुम उनके हो |
    4. इसलिए वे तुम्हारे साये से भी परहेज करते आये हैं और आज भी कर रहे है |
    5. कुत्ते बिल्ली की पेशाब से उन्हें कोई परहेज नहीं है परन्तु तुम्हारे द्वारा दिए गए गंगा जल से अपवित्र हो जाते हैं ।
    6. उनकी पुनः शुद्धि गाये के मल-मूत्र से होती है |
    7. हिन्दू धर्म के देवी देवता तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं |
    सौ प्रथम तो यह स्वीकार करना होगाकि हिन्दु समाज एक दंतकथा है। हिन्दु नाम स्वंय एक विदेशी नाम है। मुस्लिमों ने देशी लोगों से अपनी पहचान अलग करने के लिये ये नाम दिया था। मुस्लिम आक्रमण के पहले संस्कृत साहित्य में ऐसा कोई शब्द नहीं था।
    हिन्दु जिसे धर्म कहते है वह आज्ञाओं और पाबंदियों के झुंड के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं है। आध्यात्मिक सिध्दांतो के अर्थ में, सचमुच वैश्विक और सभी वंशो, सभी राष्ट्रों को सभी युग में लागु पडे ऐसाधर्म उसमें मिलता नहीं है और अगर ऐसा धर्म मिल जाय तो भी वह एक हिन्दु के जीवनका संचालन करनेवाला हिस्सा नहीं बनता।
    हिन्दु जिसे धर्म कहते है, वास्तवमें वह कानून अथवा ज्यादा से ज्यादा जिसे कायदे का स्वरुप दिया गया है ऐसी वर्गीय नीतिमत्ता है।

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